एटा जनपद में पिछले कई दिनों से खाद संकट गहराता जा रहा है।
जिले के विभिन्न सरकारी खाद केंद्रों पर किसानों की लंबी कतारें सुबह से ही लग जाती हैं।
कई किसान धूप और गर्मी में घंटों खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखते हैं, लेकिन खाद मिलने की गारंटी नहीं होती।
किसानों का कहना है कि समय पर खाद न मिलने से खरीफ की फसल पर सीधा असर पड़ सकता है।
सूत्रों के मुताबिक छोटे-छोटे शहरों में प्राइवेट खाद्य की दुकानों पर 400 से 500 की एक बोरी मिलती है
सूत्रों के मुताबिक, प्रशासन इस समस्या पर चुप्पी साधे हुए है, जिससे किसानों में आक्रोश बढ़ रहा है।
सबसे हैरानी की बात यह है कि जो संगठन किसान हितैषी होने का दावा करते हैं, वे इस मुद्दे पर खामोश हैं।
सवाल उठता है कि किसान संगठनों ने खाद संकट पर आवाज क्यों नहीं उठाई?
क्या उनके नेता सरकारी खाद केंद्रों की हकीकत से अनजान हैं,
या फिर जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं?
इस लापरवाही का खामियाजा सीधे किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
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