फाइल फोटो, 1
जिला संवाददाता मोरध्वज कुमार,
कासगंज मे स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर जारी आदेश अब कागजों तक सीमित नजर आ रहा है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने गुरुवार को जनपद के सभी विद्यालयों को निर्देशित किया था कि किसी भी स्थिति में बच्चों को ई-रिक्शा से लाने-ले जाने की अनुमति नहीं होगी। बावजूद इसके गंजडुंडवारा कस्बा और आसपास क्षेत्रों की सड़कों पर आज भी ई-रिक्शा में ठुंसे नन्हे बच्चे प्रशासन की सख्ती को खुली चुनौती देते दिखाई दे दिए।
क्या है पूरा मामला
स्कूली बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी प्रणय सिंह के निर्देश पर बीएसए ने स्कूली बच्चों को लाने ले जाने के लिए ई-रिक्शा पर आदेश जारी किया था कि अब जनपद के किसी भी विद्यालय में बच्चों का आवागमन इससे प्रतिबंधित रहेगा। साथ ही यह भी कहा गया था कि बंद बॉडी वाली कैब या स्कूल बसों से ही बच्चों को लाने-ले जाने की अनुमति होगी, ताकि किसी दुर्घटना की स्थिति में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी विद्यालयों को नोटिस जारी कर चेतावनी दी थी कि यदि आदेश का उल्लंघन पाया गया, तो विद्यालय संचालक के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कागजों में सख्ती, सड़कों पर लापरवाही
हालांकि आदेश जारी होने के बावजूद गंजडुंडवारा व पटियाली क्षेत्र की सड़कों पर शुक्रवार को ही ई-रिक्शा से बच्चों को स्कूल लाते-ले जाते देखा गया। जिससे यह आदेश हवा मे दिखा।
प्रशासन की चूक ने बढ़ाया खतरा
स्थानीय लोगों का कहना है कि बीएसए का आदेश तो सराहनीय था, लेकिन उसका पालन कराने में प्रशासन पूरी तरह नाकाम रहा है। स्कूलों के बाहर किसी तरह की जांच या निगरानी नहीं हो रही। सुबह से ही बच्चे ई-रिक्शा में लटकते हुए स्कूल जा रहे हैं, अधिकारी बस बयान देने तक सीमित हैं।
अभिभावकों में बढ़ी चिंता, मांग उठी सख्त कार्रवाई की
अभिभावकों का कहना है कि अगर प्रशासन ने अब भी ध्यान नहीं दिया तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
उन्होंने जिलाधिकारी और बीएसए से मांग की है कि फील्ड स्तर पर अभियान चलाकर ई-रिक्शा से बच्चों को ढोने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि आदेश केवल फाइलों में नहीं बल्कि ज़मीनी हकीकत में भी लागू हो।
सवाल आदेश जारी करना ही जिम्मेदारी है या पालन कराना
कासगंज में ई-रिक्शा पर प्रतिबंध का आदेश जारी तो हो गया, मगर पालन न कराने की यह प्रशासनिक ढिलाई किसी भी वक्त बड़ी दुर्घटना में तब्दील हो सकती है। सवाल यही है कि जब आदेश का मकसद बच्चों की जान बचाना था, तो फिर उसके अमल की जिम्मेदारी कौन लेगा।


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