Etah News: बी0पी0एस0 ग्रुप ऑफ इस्टिट्यूशन्स, एटा में शिक्षक दिवस के पूर्व दिवस के अवसर पर विधिक जागरूकता एवं साक्षरता शिविर का आयोजन सम्पन्न

 


एटा। उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदत्त एक्शन प्लान-2025 के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में दिनेश चन्द, माननीय जनपद न्यायाधीश /अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, एटा के आदेशानुसार एवं कमालुद्दीन, अपर जिला जज सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, एटा के निर्देशन में आज दिनांक 04 सितम्बर 2025 को शिक्षक दिवस के पूर्व दिवस के शुभ अवसर पर बी0पी0एस0 ग्रुप ऑफ इस्टिट्यूशन्स, एटा में विधिक जागरूकता एवं साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया।

            इस अवसर पर माननीय जनपद न्यायाधीश/ अध्यक्ष के द्वारा माँ सरस्वती जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर माल्यार्पण किया तथा डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। महाविद्यालय के चेयरपर्सन डॉ0 अशोक कुमार के द्वारा मंचासीन समस्त अतिथियों को बुके देकर सम्मानित किया गया। डॉ0 अंकुर यादव, महाविद्यालय प्रबंध निदेशक द्वारा शिक्षक दिवस के अवसर पर समस्त शिक्षकों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम संचालक सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप रघुनन्दन के द्वारा बताया गया कि शिक्षक और छात्र का सम्बन्ध बहुत ही घनिष्ठ होता है। शिक्षक ही छात्रों को पढ़ा-लिखाकर राष्ट्र निर्माण के लिए तैयार करता है। पढ़-लिखकर समस्त छात्रों को सरकारी नौकरी तो नहीं मिलती लेकिन जो जिस पद पर है उस पद की गरिमा बनाये रखने के लिए पूरी जिम्मेदारी से काम करें तभी उसका शिक्षण कार्य सफल माना जाता है। 

            इस अवसर पराविधिक स्वयंसेवक रिचा यादव ने शिक्षक और छात्र के सम्बन्ध के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि जिस तरह से एक कुम्हार अपनी चाक पर रखी हुई मिट्टी को अपने हाथों से अपने मन में बसी सूरत का आकार देता है, ठीक उसी तरह एक शिक्षक भी अपने छात्र को उस शीर्षतम पद तक पहुँचाने की कोशिश करता है जो उसने सोंची हो। साथ ही विशिष्ट अतिथि उ0प्र0 राज्य महिला की सदस्या डॉ0 रेनू गौड़ जी के द्वारा भी शिक्षक दिवस के अवसर पर अपने विचार प्रकट किये तथा सभी को शुभकामनाएँ दी।

              कमालुद्दीन, अपर जिला जज सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, एटा ने अपने विचारों को प्रकट करते हुए कहा कि प्राचीन काल में गुरू और शिष्य का सम्बन्ध एक संरक्षक और एक बच्चे के समान होता था। जिसमें गुरू जो भी ज्ञान देता था उसको शिष्य अपने अन्तर्मन में उतार कर अपने भविष्य का निर्माण करता था।

             मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित दिनेश चन्द, माननीय जनपद न्यायाधीश / अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, एटा द्वारा अपने विचारों को व्यक्त करते हुए संत कबीर जी के दोहे गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काके लागौं पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताय के संदर्भ में गुरु और गोविन्द को एक साथ शिष्य के समक्ष खड़े बताया गया तो किसका चयन कर पहले किसके चरण स्पर्श करना चाहिए ये एक शिष्य को सिर्फ गुरू ही बता सकता है। गोविन्द ने भी गुरू को ही सर्वप्रथम बताया।

            इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य श्री जेम्स थॉमस एवं महाविद्यालय के समस्त शिक्षक एवं कर्मचारीगण, छात्र-छात्राएँ, मध्यस्थ अधिवक्ता योगेश कुमार सक्सैना, स्वयं सेवकगण, विनीता यादव, संजीव शाक्य आदि लोग उपस्थित रहे।


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