संवाददाता विपिन शाक्य
एटा। जनपद एटा के स्वास्थ्य विभाग में इन दिनों एक स्टिंग ऑपरेशन का मामला सुर्खियों में है। हाल ही में एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र द्वारा जारी वीडियो में मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी दीपक पांडे और स्टेनो मुकेश कुमार खुलेआम अवैध पैथोलॉजी खोलने की प्रक्रिया बताते हुए दिखाई दिए।
वीडियो में दोनों कर्मचारी अपने प्रभाव और संपर्कों का हवाला देते हुए अवैध कार्य को संभव बताने की बात कर रहे हैं।
वीडियो वायरल होने के बाद नवागत मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने तत्परता दिखाते हुए दोनों कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
विभाग के ही अधिकारियों के हवाले जांच
गंभीर बात यह है कि जिन दोनों कर्मचारियों को निलंबित किया गया, उनकी जांच का जिम्मा उसी विभाग के अधिकारियों को सौंपा गया है। इससे जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार, जांच प्रक्रिया में पक्षपात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
क्या था वायरल वीडियो में
वायरल वीडियो में दोनों कर्मचारी यह बताते दिखाई दे रहे हैं कि किस प्रकार बिना किसी वैधानिक अनुमति के अवैध पैथोलॉजी खोली जा सकती है।
वीडियो में एक पूरी चैन प्रणाली का संकेत मिलता है, जिसमें दलालों के माध्यम से अवैध लाइसेंस और अनुमति तक दिलाने की बात कही जा रही है।
यह वीडियो विभागीय कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
सपोर्टिंग लॉबी पर उठ रहे सवाल
सूत्रों के मुताबिक, विभाग में कुछ लोग ऐसे हैं जो निलंबित कर्मचारियों को बचाने में लगे हैं।
कहा जा रहा है कि जांच रिपोर्ट को तकनीकी आधार पर हल्का बनाने की कोशिशें चल रही हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जांच निष्पक्ष रूप से पूरी होगी या फिर यह मामला भी पुराने कई प्रकरणों की तरह कागज़ों में दफन होकर रह जाएगा।
जनता की उम्मीद – निष्पक्ष कार्रवाई
जनता और विभाग के ईमानदार कर्मचारियों की निगाह अब इस जांच पर टिकी हुई है।
लोगों का कहना है कि यदि वीडियो में दिखे तथ्यों पर पारदर्शी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह स्वास्थ्य विभाग की साख पर और बड़ा प्रश्नचिह्न होगा।

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