दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत और रूस के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों का आदान-प्रदान किया। दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर मुकाबला करने पर गहरी सहमति व्यक्त की। दोनों पक्षों ने आतंकवाद, उग्रवाद, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध, धन शोधन, आतंकवादी वित्तपोषण और अवैध मादक पदार्थों की तस्करी जैसी आम वैश्विक चुनौतियों से निपटने में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
उन्होंने आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही, वित्तपोषण नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों सहित सभी रूपों में आतंकवाद को रोकने और उसका मुकाबला करने की आवश्यकता पर जोर दिया। भारत और रूस ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और 22 मार्च 2024 को रूस के मॉस्को स्थित क्रोकस सिटी हॉल में हुए आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि आतंकवाद किसी भी धार्मिक या वैचारिक बहाने से प्रेरित हो-यह किसी भी रूप में अस्वीकार्य है। दोनों देशों ने अल-कायदा, आईएसआईएस/दाएश और उनके सहयोगियों सहित संयुक्त राष्ट्र में सूचीबद्ध सभी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया। जिसका उद्देश्य आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों का सफाया करना, कट्टरपंथी विचारधारा के प्रसार को रोकना, आतंकवादी वित्तपोषण के स्रोतों को खत्म करना और आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही को रोकना है।
भारत और रूस ने अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के आधार पर बिना किसी छिपे एजेंडे और दोहरे मानदंडों के, आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ समझौताहीन लड़ाई की आवश्यकता पर जोर दिया। दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और महासभा के प्रासंगिक प्रस्तावों के दृढ़ और संतुलित कार्यान्वयन की वकालत की।
दोनों देशों ने आतंकवाद का मुकाबला करने में संप्रभु राज्यों और उनकी एजेंसियों की प्राथमिक जिम्मेदारी को भी रेखांकित किया। उन्होंने आतंकवाद पर ‘शून्य-सहिष्णुता’ की नीति और संयुक्त राष्ट्र की संरचना के तहत अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक कन्वेंशन को शीघ्र अंतिम रूप देने की आवश्यकता पर बल दिया। भारत और रूस ने अक्टूबर 2022 में भारत की अध्यक्षता में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद रोधी समिति (सीटीसी) की विशेष बैठक और उसमें अपनाए गए ‘दिल्ली घोषणा-पत्र’ का स्वागत किया।
यह घोषणापत्र नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियों- जैसे डिजिटल भुगतान, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म, ऑनलाइन फंडिंग तकनीक और मानव रहित हवाई वाहनों (ड्रोन) के आतंकवादी दुरुपयोग पर रोक लगने से संबंधित मुख्य चिंताओं को संबोधित करता है। दोनों पक्षों ने ऑनलाइन कट्टरपंथ और चरमपंथी विचारधारा के प्रसार को रोकने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने की तत्परता व्यक्त की। इस संदर्भ में उन्होंने एससीओ और ब्रिक्स के तहत संबंधित तंत्रों को मजबूत करने की सकारात्मक प्रगति पर भी संतोष जताया। (इनपुट: आईएएनएस)

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